योग साधना से क्या प्राप्त होगा / What will be gained by practicing yoga

What will be gained by practicing yoga

आज अधिकतर लोगों का योग को अपनाने का उद्देश्य और योग को वैश्विक रूप में स्वीकार किए जाने का कारण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति है। यदि आप किसी कुशल गुरु के निर्देशन मे नियमित रूप से अभ्यास कर रहे हैं या योग का प्रशिक्षण लेकर साधना कर रहे हैं, तो योग आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य तो देगा ही इसमें कोई संशय नहीं है। क्या आप जानते हैं यदि आप योग की गंभीरता से साधना करने से आपको क्या प्राप्त होगा।

ऐसे कहे तो योग अनगिनित लाभ रिद्धि, सिद्धि, ऐश्वर्य आदि प्रदान करता है, परंतु एक उच्च साधक के लिए इनका प्रयोग ना के बराबर है। आईये जानते हैं, एक अच्छे साधक के लिए योग द्वारा क्या प्राप्त करना महत्त्वपूर्ण है। भगवान श्री कृष्ण श्रीमद्भागवत गीता में अर्जुन को कहते हैं, कि योगी बन अर्जुन और योगारूढ़ शब्द का प्रयोग करते हैं। योगारूढ़ होने का तात्पर्य है, योगमय जीवन जीना। जिसके फलस्वरुप योग साधक को छ: दुर्लभ व अनमोल वस्तुएं जीवन में प्राप्त होती हैं। शक्ति, युक्ति, रिक्ति, तृप्ति, भक्ति और मुक्ति।

शक्ति : आसनों के अभ्यास से शक्ति मिलती है जो शरीर को दृढ़ता और मजबूती प्रदान करता है।

युक्ति : योग साधक का मानसिक स्तर इतना ऊंचा हो जाता है कि वे धीरे-धीरे क्या सही है क्या गलत है, उसकी युक्ति (विवेक/प्रज्ञा) जागृत होना शुरू होती है।

रिक्ति : सही-गलत जानने के पश्चात योगी वर्तमान में जीना सीख जाता है तथा भविष्य और भूतकाल के अनावश्यक विचारों से रिक्त हो जाता है।

तृप्ति : युक्ति और रिक्तता के अभ्यास से अनात्म में वस्तुओं से अलगाव होना शुरू हो जाता है। यहां साधक की वैराग्य की अवस्था का आरंभ होता है।

 भक्ति : जैसे ही योगी की अशुद्ध वासना से धीरे-धीरे तृप्ति होती है, वस शुद्ध वासना की ओर अर्थात अध्यात्म की ओर झुक जाता है और ईश्वर को समर्पित होना शुरू हो जाता है।

मुक्ति : जब साधक उपरोक्त साधना परिपक्व हो जाता है। तब भक्ति के द्वारा सभी प्रकार की वासना से परे साधक की मुक्ति में विलंब नहीं होता तथा वह जीवन मरण से छुटकारा पाकर मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *