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तो आइए योगाश्रम बनायें

Establishment of Yogashram in the picturesque plains of the mountains of Uttarakhand is Acharya Kailash’s dream. Amidst greenery, hills, pollution free area which lies in the core of nature, the results of yoga could be achieved much better. The pure air of hills passing through herbs, shrubs, trees, fragrant flowers accumulate many health qualities within itself. Meditation can be done much effectively if performed in such a quiet and secluded place. It would make mind more cheerful, brain relaxed and body active.

Acharya ji has chosen his ancestral lands for Yogashram. It is situated amidst picturesque hills on the banks of river Khoh, this place has been known as Ramanand Nagar in ancient times. This place is just 21 KM from the nearest railway station Kotdwar, 32 KM from the famous Maharishi Kanvaashram, 31 KM from the famous tourist destination Lansdowne, 66 KM from the religious city Haridwar, 86 KM from the International Yoga Capital Rishikesh, 119 KM from Uttarakhand’s capital Dehradun, and 149 km from Mussoorie (the queen of the mountains). The distance of this place from famous tourist spots Pauri and Khirsu is 105 km and 113 km respectively. The nearest airport is Jolly Grant, Dehradun at a distance of 104 km and Delhi airport lies 224 km apart.

Acharya Ji is also working on a plan to build a cow shed. Apart from Gau Seva, it will also provide pure milk, curd, ghee, buttermilk for those coming to the Ashram. For those who wish to do cow service and have faith and interest in philanthropy can help us in this. Their cooperation is very necessary to do such a big task. Raise your hands generously to build your own Yoga Ashram to that is ready to serve you.

उत्तराखण्ड के पहाड़ों की सुरम्य वादियों में योगाश्रम की स्थापना आचार्य कैलाश का सपना है। क्योंकि पाल्यूशन फ्री इलाके में पहाड़ियों और हरियाली के बीच योग के रिजल्ट कहीं बेहतर प्राप्त हो सकते हैं। यहां एक तो हवा वैसे ही शुद्ध होती है दूसरे अनेक जड़ीबूटी वाले वृक्षों, झाड़ियों और सुगंधित फूलों की वादियों से होकर गुजरती हवा अनेक स्वास्थ्वर्धक गुण खुद में समाहित किये होती है। एकांत सी शांत जगह होने के कारण ध्यान भी अच्छा लगता है। इससे मन प्रफुल्लित, मस्तिष्क निश्चिंत और तन चुस्त रहता है।

आचार्य जी ने योगाश्रम के लिए अपनी पैतृक जमीनों का चयन किया है। सुरम्य पहाड़ियों के मध्य खोह नदी के तट पर स्थित यह स्थान प्राचीन काल में रामानंद नगर नाम से जाना जाता रहा है। यह स्थान सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार से मात्र 21 कि.मी, प्रसिद्ध महर्षि कण्वआश्रम से 32 कि.मी., प्रसिद्ध पर्यटन स्थल लैंसडाउन से 31 कि.मी., धार्मिक नगरी हरिद्वार से 66 कि.मी., इंटरनेशनल योग कैपिटल ऋषिकेश से 86 कि.मी., उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से 119 कि.मी. तथा पहाड़ों की रानी मसूरी से 149 कि.मी. की दूरी पर है। यहां से प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पौड़ी और खिर्सू क्रमश: 105 और 113 कि.मी. की दूरी पर हैं। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट देहरादून मात्र 104 कि.मी. और दिल्ली हवाई अड्डा 224 कि.मी. है।

आचार्य जी एक गऊशाला बनाने की योजना पर भी काम कर रहे हैं। गऊ सेवा के अलावा इससे आश्रम में आने वालों के लिए शुद्ध दूध, दही, घी, छाछ की व्यवस्था भी हो जाएगी। अत: साधकों, गऊ सेवा की भावना रखने वालों और परोपकार में विश्वास और रुचि रखने वालों से आग्रह है कि इन योजनाओं में सहायता करें। एक बड़ा काम करने के लिए बहुतों का सहयोग जरूरी होता है। इसीलिए यह आहवान किया जा रहा है। उदारता से हाथ बढ़ाएं, हाथ बटाएं। अपने लिए ही अपना योगाश्रम खड़ा करें।