About
EKATMA means the philosophy of the only relation between human life and the whole world. It is a quality that is inherent in everything, such as the fragrance in the flower, the heat in the fire or the coolness in the water.
Ubuntu is an African concept, it means – ‘I am, because we are’. I, my family, village, state, nation, humanity, non-human living creation, nature (to forsake / abandonment / exit), these are all interconnected different units of gradual expansion, this is the unity. There is no conflict – coordination, not competition – dialogue. The group of all these units is our life. These are all, that’s why we are all. The balance between them is religion and maintaining this balance is the establishment of religion.
A vast space (sky) is hidden within man. One who gets inside himself stands at the door of the mysteries of the world. The one who starts descending the inner steps starts descending the temple of life. The deeper one who goes deep within himself, the more unique form, beauty, fragrance, music of God arises all the year.
For this purpose EKATMAYOGA will continue to work.
एकात्मयोग
‘एकात्म’ अर्थात् मानव जीवन एवं सम्पूर्ण सृष्टि के एकमात्र सम्बन्ध का दर्शन। यह वह गुणवत्ता है जो हर वस्तु में जन्मजात होती है, जैसे फूल में सुगंध, अग्नि में उष्णता या पानी में शीतलता।
‘युबांतु’ एक अफ्रीकी संकल्पना है, इसका अर्थ है— ‘मैं हूं, क्योंकि हम हैं’। मैं, मेरा परिवार, गांव, राज्य, राष्ट्र, मानवता, मानवेतर जीव सृष्टि, निसर्ग (त्यागना/छोडऩा/बाहर निकलना), ये सभी परस्पर जुड़ी हुई क्रमश: विस्तारित होने वाली विभिन्न इकाइयां हैं, यही एकात्म है। इनमें परस्पर संघर्ष नहीं – समन्वय है, स्पर्धा नहीं – संवाद है। इन सभी इकाइयों का समुच्चय हमारा जीवन है। ये सब हैं, इसीलिए हम सब हैं। इनके बीच का संतुलन धर्म है और यह संतुलन बनाए रखना ही धर्म स्थापना है।
मनुष्य के भीतर एक विराट आकाश छिपा है। जो अपने भीतर उतर जाए वह जगत के रहस्यों के द्वार पर खड़ा हो जाता है। जो अपने भीतर की सीढियां उतरने लगता है वह जीवन के मंदिर की सीढिय़ा उतरने लगता है। जो अपने भीतर जितना गहरा जाता है उतना ही परमात्मा का अपूर्व अद्वितीय रूप, सौंदर्य, सुगंध, संगीत सब बरस उठता है।
इसी उद्देश्य को लेकर ‘एकात्मयोग’ आगे बढ़ेगा।